सरकारी योजनाओं से महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव: ‘मर्जी से वोट डालती हूं, घर के फैसले लेती हूं’
भारत में महिलाओं की स्थिति में बीते कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आया है। सरकारी योजनाओं और नीतियों के चलते महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि अब वे अपने घर और समाज में भी अहम फैसले ले रही हैं। आज की महिला सिर्फ घर तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी शिक्षा, रोजगार और अधिकारों को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक है।
सरकारी योजनाओं का असर
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, मुद्रा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला हेल्पलाइन 181 जैसी कई योजनाएं चलाई गई हैं। इन योजनाओं के कारण महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और वे स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम हुई हैं।
राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में भी बढ़ोतरी हुई है। पंचायतों में 50% आरक्षण और महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी अब ग्राम प्रधान, पार्षद और विधायक बनने लगी हैं। वे अब खुद अपने गांव और शहरों के विकास में योगदान दे रही हैं।
आर्थिक आत्मनिर्भरता और सुरक्षा
महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के तहत कई महिलाओं ने अपना व्यवसाय शुरू किया है। वे अब घरेलू उत्पाद, हस्तशिल्प, कृषि और छोटे उद्योगों में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही हैं। इसके अलावा, महिला सुरक्षा के लिए भी सरकार ने निर्भया फंड, फास्ट ट्रैक कोर्ट, वन-स्टॉप सेंटर जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिससे महिलाएं अब पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रही हैं।
महिलाओं की बदलती सोच
अब महिलाएं कहती हैं—
"मैं अपनी मर्जी से वोट डालती हूं, अपने घर के फैसले खुद लेती हूं। अब किसी पर निर्भर नहीं हूं।"
सरकारी योजनाओं का असर साफ दिख रहा है— महिलाएं अब न केवल अपने हक की आवाज उठा रही हैं, बल्कि समाज और देश की उन्नति में भी योगदान दे रही हैं।